Govt. EV Battery Swapping Policy india। भारत में जल्द आएगी ईवी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी

ईवी बैटरी स्वैपिंग क्या है? (EV Battery swapping policy india 2023), govt ev policy, battery as a service (BaaS)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2022-23 में एक महत्वाकांक्षी बैटरी स्वैपिंग नीति (EV battery swapping policy india) तैयार करने की घोषणा की थी। नरेंद्र मोदी सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से एडॉप्शन पर जोर दे रही है, और सभी नए वाहनों के विद्युतीकरण के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है।

टू व्हीलर थ्री व्हीलर और फोर व्हीलर (विशेष रूप से हल्के माल परिवहन) इलेक्ट्रिक व्हीकल साल 2023 के मध्य तक चार्ज की गई बैटरी के साथ डिस्चार्ज/खराब बैटरी को स्वैप करने में सक्षम हो सकते हैं, ऐसा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से खबर है।

ईवी बैटरी स्वैपिंग क्या है? (What is ev battery swapping ?)

“बैटरी स्वैपिंग मतलब बैटरी की अदला बदली, बैटरी स्वैपिंग का यह मॉडल सब्सक्रिप्शन बेस पर काम करता है,जैसे आप एलपीजी गैस का कनेक्शन लेते हैं और खाली होने पर उसे रिफिल कराते हैं ठीक वैसे ही जब आपके इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी डिस्चार्ज हो जाएगी उसी स्थिति में आप ईवी बैटरी स्वैपिंग स्टेशन पर जाकर डिस्चार्ज हुई बैटरी को चार्ज बैटरी इसके साथ बदल सकते हैं।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2022-23 में एक महत्वाकांक्षी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (EV Battery Swapping Policy India) तैयार करने की घोषणा की थी। नरेंद्र मोदी सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से एडॉप्शन पर जोर दे रही है, और सभी नए वाहनों के विद्युतीकरण के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है।

नीति आयोग के सलाहकार (इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी-ट्रांसपोर्ट एंड इलेक्ट्रिक मोबिलिटी) सुधेंदु ज्योति सिन्हा ने दिप्रिंट बात करते हुए बताया कि “नीति आयोग द्वारा तैयार की जा रही बैटरी स्वैपिंग नीति इस साल के अंत तक लागू हो जाएगी और हमें उम्मीद है कि अगले साल के मध्य तक, हम सिस्टम को चालू होते देख सकते हैं। अगले साल तक, पूरा इकोसिस्टम तंत्र फलने-फूलने लगेगा”।

सुधेंदु ज्योति सिन्हा और अन्य सरकारी अधिकारियों ने बताया कि सभी श्रेणियों में विशेष रूप से दोपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति में वृद्धि देखी गई है। “पिछले साल, मार्च-अप्रैल के आसपास, हमने 10 लाख वाहनों के लक्ष्य में से 35,000 टू व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन किया था। तो यह 3.5 फीसदी था। आज 8-9 महीनों में यह संख्या 35,000 से बढ़कर 2.30 लाख वाहन हो गई है। आप 8 महीने और प्रतीक्षा करिए आप देखेंगे कि यह बढ़कर 7-8 लाख हो जाएगा।

बैटरी स्वैपिंग नीति (Battery Swapping Policy) सहज और आसान होगा।

शुरुआत में बैटरी स्वैपिंग की सुविधा केवल शहर की सीमा के भीतर ही उपलब्ध होगी, लेकिन राजमार्ग पर प्रत्येक 50 किमी के के अंतराल पर धीरे-धीरे एक स्वैपिंग स्टेशन तक विस्तार किया जाएगा।

उपभोक्ताओं के जीवन को आसान बनाने के अलावा, इस कदम से इलेक्ट्रिक वाहनों की अग्रिम लागत में भी कमी आने की उम्मीद है। एक इलेक्ट्रिक कार जिसकी कीमत 15 लाख रुपये है,उसकी बैटरी की कीमत लगभग 6 लाख रुपये है। यदि बैटरी किया लागत हटा दी जाए, तो एक वाहन की लागत लगभग 9 लाख रुपये तक आ जाती है।

सुधेंदु ज्योति सिन्हा ने आगे कहा “इस तरह बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (Battery Swapping Policy) से इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते हो जाएंगे क्योंकि उपभोक्ताओं को बैटरी नहीं खरीदने पड़ेंगे। वे लीज पर बैटरी ले सकते हैं और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों पर इसे स्वैप कर सकते हैं।

नीति आयोग द्वारा तैयार की जा रही बैटरी स्वैपिंग नीति (Battery Swapping Policy) में स्वैपिंग स्टेशन का संचालन कौन कर करेगा, ये बैटरी स्वैपिंग स्टेशन कहां स्थापित किए जाएंगे, और बैटरी की अदला-बदली और चार्जिंग की लागत जैसे मुद्दों का समाधान किया जाएगा।

सिन्हा ने कहा कि “बैटरी स्वैपिंग नीति (Battery Swapping Policy) में सबसे प्रमुख विषय इसकी अफॉर्डेबिलिटी है। हम स्टेकहोल्डर के साथ चर्चा करने के बाद कुछ महीनों में मूल्य निर्धारण के साथ आएंगे”, ।

नीति आयोग स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने वालों के लिए फाइनेंशियल इंसेंटिव और मॉडलों पर भी विचार कर रही है, जिन पर और काम किया जा सकता है। मसौदा नीति तैयार करने वाले अधिकारियों ने कहा कि वे इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि स्वैपिंग स्टेशन कैसे काम करेंगे।

अधिकारियों में से एक ने कहा, कि ये स्टेशन एक सुविधाजनक स्थान पर रखे एक अलकोव की तरह हो सकते हैं, जिसमें विशिष्ट आयताकार स्थान होते हैं, जहां बैटरी को चार्ज करने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ रखा जाता है। एक अधिकारी ने कहा, “जैसे ही आप अपने वाहन के साथ स्वैपिंग स्टेशन पर आएंगे, डिस्चार्ज बैटरी को निकाल कर चार्ज की गई बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन में अंदर डाल दी जाएगी।”

सिन्हा ने आगे कहा, “मेरी समझ में अभी तक सभी वाहन पेट्रोल फिल स्टेशनों के आदी हैं। अगर हम मौजूदा फिलिंग स्टेशन पर स्वैपिंग बूथ विकसित कर सके तो इससे अच्छा कुछ नहीं है।”

सरकार को यह भी उम्मीद है कि बैटरी स्वैपिंग स्टेशन (Battery Swapping Station) स्थापित करने के लिए निजी निवेश आगे आएगा।

नीति आयोग द्वारा बैटरी स्वैपिंग के लिए देखा जा रहा एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि जब बैटरियों का जीवन चक्र समाप्त हो जाता है तो उनका क्या होता है। एक अधिकारी ने कहा कि “हमें उचित बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियमों (Waste management rules ) के साथ आना होगा। अन्यथा, स्थिरता के साथ समस्या का समाधान स्थिरता के लिए एक बड़ी समस्या पैदा करना शुरू कर देगा, जिस तरह से प्लास्टिक ने किया है।

बैटरी स्वैपिंग मानक (Battery Swapping Standard)

जहां नीति आयोग बैटरी स्वैपिंग नीति तैयार करने के लिए भारी उद्योग और सड़क परिवहन सहित विभिन्न मंत्रालयों के साथ समन्वय कर रहा है, वहीं भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) बैटरी स्वैपिंग के लिए मानक (Battery Swapping Standard) तैयार कर रहा है।

Prototype Standard को तैयार करने के लिए बीआईएस (BIS) द्वारा चार टेक्निकल टीमों का गठन किया गया है, जिन्हें अंतिम रूप देने से पहले परीक्षण के लिए रखा जाएगा।

नाम न जाहिर करने की शर्त पर बीआईएस के एक अधिकारी ने कहा कि जहां तक ​​बैटरी स्वैपिंग की बात है तो इसके दो आयाम हैं। एक है नीति, दूसरा है मानक।

अधिकारी ने कहा कि मानक में चार क्षेत्र हैं जिन पर विचार किया जा रहा है। पहला, बैटरी का भौतिक स्वरूप है, यानी लंबाई, चौड़ाई, वजन, आदि। दूसरा कनेक्टर्स का है। तीसरा वह है जो बैटरी और वाहन या चार्जिंग स्टेशन के बीच संचार प्रोटोकॉल होगा। अंत में इंटरऑपरेबिलिटी से संबंधित मुद्दा है।

बीआईएस अधिकारी ने कहा, “मानक का विचार प्रसार, सुरक्षा और सुगमता के लिए एकरूपता रखना है।”

अधिकारी ने कहा, एक महत्वपूर्ण पहलू जिस पर टेक्निकल टीम देख रहे हैं वह है बैटरी का साइज। “बैटरी वेट (Battery weight) बहुत महत्वपूर्ण है। उपभोक्ता को वाहन से डिस्चार्ज बैटरी को उठाने और चार्ज की गई बैटरी को वापस वाहन में डालने में सक्षम होना चाहिए। यह 10 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए ताकि एक 18 वर्षीय या 60 वर्षीय व्यक्ति इसे उठा सके। ”

अधिकारियों के मुताबिक जिस मानक पर विचार किया जा रहा है वह अंतरराष्ट्रीय मानकों (International Standard) के समान होना चाहिए।

अधिकारियों ने कहा कि आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहन का वजन हल्का होना चाहिए और “वाहन की डिजाइन हल्की होनी चाहिए, अन्यथा यह बहुत बोझिल हो जाएगी।”

अधिकारी ने कहा कि मौजूदा वाहनों को फिर से लगाया जा सकता है। “कुछ राज्य उसी तरह रेट्रो फिटमेंट के लिए जा रहे हैं जैसे उन्होंने सीएनजी के मामले में किया था। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से रेट्रो फिटमेंट के लिए अभी कोई प्रोत्साहन नहीं है। राज्य इसके साथ आगे बढ़ सकते हैं और मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ भी गलत है सिवाय इसके कि आपको सुरक्षा मानकों को बनाए रखना होगा। ”

निष्कर्ष (Conclusion)

यह EV पॉलिसी (EV battery swapping policy india) भारत में आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा तय करेगा क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग करने में लगने वाले समय की अपेक्षा बैटरी की अदला बदली बहुत जल्दी हो जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं समय बचेगा।

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ईवी बैटरी स्वैपिंग क्या है ?

FAQ

Q. – बैटरी स्वैपिंग क्या है?

Ans. – बैटरी स्वैपिंग मतलब बैटरी की अदला बदली, बैटरी स्वैपिंग का यह मॉडल सब्सक्रिप्शन बेस पर काम करता है,जैसे आप एलपीजी गैस का कनेक्शन लेते हैं और खाली होने पर उसे रिफिल कराते हैं ठीक वैसे ही जब आपके इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी डिस्चार्ज हो जाएगी उसी स्थिति में आप बैटरी स्वैपिंग स्टेशन पर जाकर डिस्चार्ज हुई बैटरी को चार्ज बैटरी इसके साथ बदल सकते हैं।

Q. – भारत में कितने चार्जिंग स्टेशन है?

Ans. – सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी ने बताया है कि 21 मार्च 2022 तक देश में कुल 1742 चार्जिंग स्टेशन संचालित है।

Q. – भारत में सबसे बेस्ट इलेक्ट्रिक कार कौन सी है?

ANS. – टाटा टाटा टिगोर और नेक्सॉन ईवी भारत की सबसे सस्ती और सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। टाटा टिगोर इलेक्ट्रिक कार की बेस और टॉप मॉडल की एक्स शोरूम प्राइस ₹11.99 लाख और ₹13.14 लाख है। यह इलेक्ट्रिक कार 26KWh बैटरी पैक से लैस है और सिंगल चार्ज में 306 किलोमीटर की रेंज प्रदान करता है। नेक्सॉन ईवी 30.2KWh बैटरी पैक से लैस है और सिंगल चार्ज में 312 किलोमीटर की रेंज प्रदान करता है। टाटा नेक्सॉन इलेक्ट्रिक कार की बेस और टॉप मॉडल की एक्स शोरूम प्राइस ₹14.29 लाख और ₹16.99 लाख है।

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