Why electric scooters catching fire how to prevent it। इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग क्यों लगती है, इलेक्ट्रिक स्कूटर को आग से कैसे बचाएं?

(Electric vehicles fire) इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग क्यों लगती है, इलेक्ट्रिक स्कूटर को आग से कैसे बचाएं? (Why electric scooters catching fire how to prevent it)

इलेक्ट्रिक व्हीकल इको फ्रेंडली और पारंपरिक वाहनों की तुलना में किफायती होने की वजह से लोगों के बीच तेजी से उभरा है। लेकिन ईवी उद्योग अभी नई है जिसके वजह से इसके उपयोग में कई खामियां उजागर हो रही है।

पिछले दो महीनों के भीतर 2 दर्जन से अधिक इलेक्ट्रिक स्कूटरओं में आग लगने की घटनाओं ने सबका ध्यान अपनी और खींचा है। इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की मुख्य वजह इसकी बैटरी है लेकिन बैटरी में किस खराबी की वजह से आग लगती है इसका पता लगा पाना मुश्किल है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में आग लगने के कारणों और उसके रोकथाम के उपाय (Why electric scooter catching fire how to prevent it) के बारे में जानने से पहले उसमें यूज होने वाले बैटरी और बैटरी की वर्किंग प्रोसेस के बारे में जानना जरूरी है। इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे ज्यादा लिथियम आयन बैटरी का उपयोग होता है मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों में भी लिथियम आयन बैटरी का उपयोग होता है।

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लीथियम-आयन बैटरी क्या होती है(What is lithium ion battery)?

What is lithium-ion battery

लिथियम आयन बैटरी का इलेक्ट्रिक वाहनों और मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक सामानों सबसे ज्यादा यूज होने का मुख्य कारण इसकी एनर्जी स्टोरेज कैपेसिटी है। लिथियम आयन बैटरी 150Wh/kg एनर्जी स्टोर कर सकती है जबकि लेड एसिड बैटरी करीब 25Wh/kg और निकल हाइड्राइड बैटरी 100Wh/kg एनर्जी स्टोर कर सकती है। इसके अलावा लिथियम आयन बैटरी हल्की और ताकतवर होती है और लंबे समय तक टिकती है।

लिथियम आयन बैटरी कैसे काम करती है (How Lithium ion battery works)?

How Lithium ion battery works

लिथियम आयन बैटरी में मुख्यतः तीन कंपोनेंट होते हैं इलेक्ट्रोलाइट, इलेक्ट्रोड्स (एनोड और कैथोड) और सेपरेटर। एक ओर एनोड और दूसरी तरफ कैथोड होती है और बीच में इलेक्ट्रोलाइट होता है जिसमें सेपरेटर लगा होता है सेपरेटर का काम दोनों (धनात्मक और ऋणत्मक) को अलग रखना होता है ताकि असामान्य हिट उत्पन्न होने की स्थिति में इलेक्ट्रोलाइट पिघल न जाए।

इलेक्ट्रोड के एक तरफ लिथियम ऑक्साइड और दूसरी तरफ ग्रेफाइट/सिलिकॉन का एक परत होता है। ग्रेफाइट सिलिकॉन के इस परत का काम लिथियम के आयन को स्टोर करना होता है जब इस सेल को इलेक्ट्रिक सप्लाई से जोड़ा जाता है तब लिथियम के आयन इलेक्ट्रोलाइट को पार करके दूसरे इलेक्ट्रोड की तरफ और इलेक्ट्रॉन धनात्मक इलेक्ट्रोड से ऋण आत्मक इलेक्ट्रोड की तरफ चलकर ग्रेफाइट के परत में इकट्ठा होने लगते हैं। इस तरह लिथियम आयन बैटरी चार्ज होती है।

जब इस बैटरी को किसी लोड से जोड़ा जाता है तब लिथियम आयन और इलेक्ट्रॉन वापस अपनी पहली अवस्था में पहुंचने के लिए उल्टी दिशा में चलने लगते हैं जिससे करंट उत्पन्न होने लगती है।

क्या होता है बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम(What is BMS)?

बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery management system) एक सॉफ्टवेयर होता है, इसे बैटरी पैक को दिमाग भी कहा जाता है। बैटरी का प्रत्येक सेल इस सॉफ्टवेयर से जुड़ा रहता है।

जब बैटरी संचालन में होती है तो उससे बहुत अधिक ऊर्जा निकलती है। अत्यधिक मात्रा में निकलने वाली ऊर्जा बैटरी के परफॉर्मेंस को खराब कर सकती है। BMS (Battery Management System) बैटरी पैक के हर एक सेल की निगरानी करती है सुरक्षा सुनिश्चित करती है परफारमेंस और बैटरी लाइफ को बढ़ाती है।

बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) के निम्नलिखित कार्य है:

  • BMS बैटरी पैक के हर सेल से जुड़ा होता है बैटरी सेल वोल्टेज और उसमें स्लो होने वाले करंट को मापता है।
  • बीएमएस सेल बैलेंसिंग का काम करता है मतलब हर एक सेल को समान रूप से चार्ज और डिस्चार्ज करने में मदद करता है। बैटरी के अधिक चार्ज और डिस्चार्ज होने की स्थिति में होने वाले नुकसान से बचाता है।
  • इसके अलावा BMS चार्जिंग स्टेटस, बैटरी हेल्थ, परफॉर्मेंस और बैटरी लाइफ की निगरानी करता है, साथ ही बैटरी को सेफ जोन से बाहर काम करने से रोकता है।
  • बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में टेंपरेचर सेंसर लगे होते हैं ये सेंसर बैटरी के हर एक सेल के तापमान की निगरानी रखते हैं।
  • बीएमएस लूज कनेक्शन और इंटरनल शॉर्ट सर्किट जैसे किसी भी असुरक्षित स्थिति का पता लगाता है, असुरक्षित स्थिति पैदा होने पर लिथियम आयन सेल और उपयोगकर्ता के सुरक्षा के लिए बैटरी को बंद कर देता है।
  • बीएमएस बैटरी को न सिर्फ सुरक्षित तरीके से चलाती है बल्कि पूरे बैटरी को मैनेज करती है।

इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग क्यों लगती है(Why are electric scooters catching fire)?

एक्सपर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में आग लगने की मुख्य वजह इसकी बैटरी और बैटरी में होने वाली शार्ट सर्किट है, लेकिन इसके अलावा भी आग लगने के और कई कारण हो सकते हैं- जैसे खराब क्वालिटी के बैटरी सेल, मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, बैटरी पैक में वाइब्रेशन, गलत तरीके से चार्जिंग करना, बीएमएस का सही से काम न करना, बैटरी में कोई बाहरी डिफेक्ट, थर्मल रनवे आदि।

थर्मल रनअवे  (What is Thermal Runaway)

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में एक बैटरी नहीं बल्कि कई बैटरी सेल्स सीरीज और पैरेलल में जुड़कर बैटरी पैक का निर्माण करते हैं। जब किसी एक सेल में किसी कारणवश शार्ट सर्किट या कोई गड़बड़ी होती है, तो उसमें बहुत अधिक हिट उत्पन्न होती है। चूँकि बैटरी पैक में सेल्स एक दूसरे के पास पास जुड़े होते हैं, एक सेल में उत्पन्न हुई अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा बाकी सेल्स में तेजी से फैल जाती है जिससे बैटरी में आग लगने जैसी घटना होती है, इसे थर्मल रनअवे कहा जाता है।

थर्मल रनअवे में बैटरी सेल्स के भीतर रासायनिक प्रक्रियाएं होती है और चेन रिएक्शन शुरू हो जाती है एक बार चेन रिएक्शन शुरू होने के बाद इसे रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। चेन रिएक्शन से 750 डिग्री फारेनहाइट तक उर्जा उत्पन्न हो सकती है। थर्मल रनअवे में बैटरी सेल्स का टेंपरेचर बहुत तेजी से बढ़ने लगता है और बैटरी सेल्स में स्टोर्ड एनर्जी तेजी से बाहर आने लगती है जिससे बैटरी पैक बहुत अधिक गर्म हो जाता है। इसी वजह से बैटरी फट जाती है या उसमें आग लगती है।

बैटरी में प्लास्टिक केबिनेट का उपयोग

बैटरी मैन्युफैक्चरर्स बैटरी को हल्के और पोर्टेबल बनाने के लिए प्लास्टिक कैबिनेट का उपयोग करते हैं जब बैटरी गर्म होती है तो यह प्लास्टिक कैबिनेट को भी तेजी से गर्म करती है और बैटरी सेल्स के भीतर शॉर्ट सर्किट होने की स्थिति में इससे निकलने वाले हिट प्लास्टिक को पिघला देते हैं जिससे आग तेजी से फैलती है।

बैटरी में हीट सिंक का न होना

बैटरी में हिट सिंह का ना होना भी आग लगने का कारण बनती है। लिथियम आयन बैटरी बहुत जल्दी गर्म होती है ऐसे में इसे कूलिंग करने के लिए बैटरी पैक के ऊपरी सतह में हिट सिंह होना चाहिए। ज्यादातर बैटरी मैन्युफैक्चरर्स बैटरी को कंपैक्ट स्वैपएबल और हल्का बनाने के चक्कर में हिट सिंह को इग्नोर कर देते हैं क्योंकि हीट सिंक के वजह से बैटरी बहुत भारी और डिजाइन बिगड़ जाता है।

शॉर्ट सर्किट

बैटरी में शार्ट सर्किट भी आग लगने का एक बड़ा कारण है। थर्मल रनअवे के कारण जब बैटरी में बहुत अधिक हिट उत्पन्न होती है तो बैटरी का पॉजिटिव और नेगेटिव सिरा मेल्ट होकर संपर्क में आने से शॉर्ट सर्किट होने की संभावना बनी रहती है। शॉर्ट सर्किट होने से बैटरी में आग लग सकती है और बैटरी ब्लास्ट भी हो सकता है।

गर्म मौसम में बैटरी का अधिक गर्म होना

गर्मी के मौसम में तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। देश में इन दिनों तापमान तेजी से बढ़ रहा है, कई राज्यों में तापमान 46-48 डिग्री तक पहुंच जाती है। इतने तापमान पर ईवी बैटरियों में गड़बड़ियां चालू हो जाती हैं और आग लगने का कारण बनती है। ईवी बैटरियों को देश के वातावरण को ध्यान में रखकर बनाए जाने की जरूरत है।

चाइनीज माल का उपयोग

वर्तमान में देश में ज्यादातर बैटरी पैक और सेल्स चाइना से इंपोर्ट किया जा रहा है, एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में चीन लिथियम आयन बैटरियों का दुनिया भर में सबसे बड़ा उत्पादक था। इस दौरान दुनिया भर की 79% बैटरियां केवल चीन ने बनाई गई थी। कई एक्सपर्ट का मानना है कि चीन से आयातित लिथियम आयन बैटरियों का खराब क्वालिटी का होना भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की प्रमुख वजह है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इलेक्ट्रिक स्कूटर को आग से बचाने के लिए क्या करें

  • इलेक्ट्रिक स्कूटर को चलाने के तुरंत बाद चार्ज करने से बचें बैटरी का तापमान सामान्य होने के बाद ही चार्ज करें।
  • इलेक्ट्रिक स्कूटर को गर्म जगह हो या सीधी धूप में ना रखें। यदि इलेक्ट्रिक स्कूटर में रिमूवेबल बैटरी हो तो बैटरी को निकाल कर घर में ठंडी जगह पर रखें।
  • बैटरी को ओवर चार्ज करने से बचें, डीप डिस्चार्ज ना होने दें, बैटरी को रात भर चार्जिंग में लगा कर ना छोड़े।
  • इलेक्ट्रिक स्कूटर के साथ दिए गए चार्जर और चार्जिंग केबल का ही उपयोग करें।
  • इलेक्ट्रिक स्कूटर का उपयोग करने से पहले बैटरी की जांच करें डैमेज बैटरी का उपयोग बिल्कुल ना करें।
  • इलेक्ट्रिक स्कूटर को गिला ना होने दें धोने की स्थिति में बैटरी को निकाल कर अलग रख लें और स्कूटर के सूख जाने पर ही बैटरी को लगाएं।
  • समय-समय पर अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर को चेक कराते रहें। सही समय पर गाड़ी की सर्विसिंग जरूर कराएं ताकि इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग के खतरों से बचा जा सके।
  • इलेक्ट्रिक स्कूटर को घर/कमरे से दूर, साफ, सुरक्षित और पर्याप्त हवादार वाले जगह पर चार्ज करें।
  • चार्ज करते समय चार्जर को बैटरी के ऊपर न रखें।
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के साथ दिए गए यूजर मैनुअल को अच्छे से पढ़े और इसके कार्य प्रणाली को समझें। सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल के चार्जिंग के लिए बनाए गए नियमों का पालन करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भविष्य की गाड़ियां है। चूंकि ईवी इंडस्ट्री अभी नई-नई है इसीलिए इलेक्ट्रिक स्कूटरों (EVs) में गड़बड़ियां और आग लगने जैसी कई घटनाएं सामने आ रही है । जैसे-जैसे टीवी इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी का विकास होता जाएगा सारी समस्याएं दूर होती जाएंगी। पेट्रोल और डीजल गाड़ियों में भी शुरुआती स्टेज में ऐसे ही कई खामियां थी जो समय के साथ धीरे-धीरे ठीक होती गई। हमें इलेक्ट्रिक स्कूटरों   में आग क्यों लगती है और ईवी को आग से बचाने के क्या-क्या उपाय हैं (Why electric scooters catching fire how to prevent it), इसे समझने की जरूरत है साथ ही ईवी उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।

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Q. – लिथियम बैटरी के अंदर क्या होता है?

Ans. – लिथियम आयन बैटरी में मुख्यतः तीन कंपोनेंट होते हैं इलेक्ट्रोलाइट, इलेक्ट्रोड्स (एनोड और कैथोड) और सेपरेटर। इलेक्ट्रोड के एक तरफ लिथियम ऑक्साइड और दूसरी तरफ ग्रेफाइट/सिलिकॉन का एक परत होता है। ग्रेफाइट सिलिकॉन के इस परत का काम लिथियम के आयन को स्टोर करना होता है जब इस सेल को इलेक्ट्रिक सप्लाई से जोड़ा जाता है तब लिथियम के आयन इलेक्ट्रोलाइट को पार करके दूसरे इलेक्ट्रोड की तरफ और इलेक्ट्रॉन धनात्मक इलेक्ट्रोड से ऋण आत्मक इलेक्ट्रोड की तरफ चलकर ग्रेफाइट के परत में इकट्ठा होने लगते हैं। इस तरह लिथियम आयन बैटरी चार्ज होती है।

Q. – लिथियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन सा है?

Ans. – वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया, लिथियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, यह अकेले दुनिया का 53% लिथियम का उत्पादन करता है। इसके बाद चिली (21.5%) चाइना (9.7%) अर्जेंटीना (8.3%) और जिंबाब्वे (2.1%) सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। लिथियम के भंडारण (Reserve) की बात करें तो ये है वो पांच देश है जिनके पास लिथियम के सबसे बड़े भंडार मौजूद है-

1. चिली – विश्व का कुल 55.5%
2. ऑस्ट्रेलिया – 18.1%
3. अर्जेंटीना – 11.0%
4. चीन – 6.5%
5. अमेरिका – 4.1%

Q. – Why are EVs catching fire in India?

Ans. – इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में आग लगने के और कई कारण हो सकते हैं – जैसे खराब क्वालिटी के बैटरी सेल, मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, बैटरी पैक में वाइब्रेशन, गलत तरीके से चार्जिंग करना, बीएमएस का सही से काम न करना, बैटरी में कोई बाहरी डिफेक्ट, बैटरी में प्लास्टिक केबिनेट का उपयोग, गर्म मौसम में बैटरी का अधिक गर्म होना, बैटरी में हीट सिंक का न होना, थर्मल रनवे आदि।

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